राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी ने सन् 1925 में पड़ाव की भूमि पर स्वतंत्रता आंदोलन की एक विशाल जनसभा को सम्बोधित किया था तथा सीतापुर जनपद के देशभक्त नर-नारियों ने अपने बहुमूल्य जेवरात यथासंभव धनराशि महात्मा गाँधी के चरणों में अर्पित की थी। उक्त स्मृति को चिरस्थाई बनाए रखने के लिए गाँधीवादी नेता, स्वतंत्रता सेनानी, शिक्षा प्रेमी पूर्व विधायक स्व० ताराचंद महेश्वरी सन् 1974 में विद्यालय समिति के तत्वाधान में महाविद्यालय भवन की नीँव रखी। उनके सतत प्रयास से सन् 1976 में विद्यालय का कार्य पूर्ण हुआ।
महाविद्यालय को सन् 1981 में कानपुर विश्वविद्यालय द्वारा कला संकाय के आठ विषयों—हिंदी भाषा, अंग्रेजी भाषा, हिंदी साहित्य, अंग्रेजी साहित्य, समाजशास्त्र, राजनीति विज्ञान, अर्थशास्त्र, तथा इतिहास में अस्थाई सम्बद्धता प्राप्त हुई। महेश्वरी जी के 15 जनवरी 1983 में दिवंगत होने के पश्चात उनके निकट सहयोगी श्री तोताराम जैन सचिव, महाविद्यालय समिति तथा तत्कालीन प्राचार्य डॉ० हृदय नारायण सिंह के सतत प्रयास से महाविद्यालय को सन् 1986 में स्थाई सम्बद्धता प्राप्त हुई।
1 मार्च 1988 को श्री गाँधी महाविद्यालय, उत्तर प्रदेश शासन की अनुदान सूची पर आया। सन् 1992 में परास्नातक स्तर पर अर्थशास्त्र विषय में स्ववित्तपोषित योजना के अंतर्गत अस्थाई सम्बद्धता तथा सन् 1994 में स्थाई सम्बद्धता प्राप्त हुई। महाविद्यालय को सन् 1995-1996 परास्नातक स्तर पर हिंदी, समाजशास्त्र , राजनीति, विज्ञान तथा स्नातक स्तर पर गृह विज्ञान, भूगोल, प्राचीन इतिहास तथा संस्कृत विषयों में स्ववित्तपोषित योजना के अंतर्गत अस्थाई सम्बद्धता प्राप्त हुई।
1998 में शिक्षा संकाय में बी.एड. को इसी योजना के अंतर्गत सम्बद्धता प्राप्त हुई। सन् 2016 में महाविद्यालय में बी.कॉम. को अस्थाई सम्बद्धता तथा सन् 2020 में स्थाई सम्बद्धता प्राप्त हुई.
अध्ययन-अध्यापन, परीक्षाफल तथा अनुशासन की दृष्टि से श्री गांधी महाविद्यालय सिधौली, सीतापुर को सर्वोत्कृष्ट उच्च शिक्षा संस्थान के रूप में ख्याति प्राप्त है।
यह महाविद्यालय नई शिक्षा नीति के श्रेष्ठतम अध्ययन केंद्र के रूप में विकसित होकर छात्र/छात्राओं के सर्वांगीण विकास का पथ प्रशस्त कर सके, ऐसा प्रयास सतत जारी है।